आज मौसम अलग सा है
ठंडी-ठंडी हवा
बदरी भी छाई
सूर्य देव का दर्शन नहीं
हर दिन तो
अब तक अपनी लालिमा बिखेर देते थे
तपन को महसूस करा देते थे
इंतजार है
आदत जो है
सुबह-सुबह देखने की
नमस्कार करने की
ऐसा नहीं है
ठंडी-ठंडी हवा नहीं भा रही है
ठंड का एहसास तो सुखद ही है
यह हमारे शहर में कभी कभार देखने को मिलता है
फिर भी सूरज को कैसे भूले
जो हर रोज प्रकाश देते हैं
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