हाँ मैं कामकाजी महिला हूँ
हूँ क्या थी
अब सेवानिवृत्त हो गई हूँ
तब जाकर सोचने का अवसर मिला
मैंने किया क्या ??
यह सोचती हूँ
मैंने पैसा कमाया
घर बनाया
बच्चों को पढाया लिखाया
उनकी जो जरूरतें थी वह अपनी हैसियत के हिसाब से पूरी भी की
जीवन भर भागम-भाग की
तब जाकर यह हासिल हुआ
इसमें कहीं कुछ छूट गया
बच्चों की जिद
उनकी इच्छा
उनकी परवरिश
उनको नानी - नाना के यहाँ छोड़ना
दोनों काम तो हो भी नहीं सकते थे
आप बच्चों की जिद पूरी करें
उनके लिए स्वादिष्ट व्यंजन बनाएं
जब उनकी मांग हो
उनके साथ हर वक्त रहें
यह एहसास शायद बच्चों को भी होता है
समय से पहले बडे हो जाते हैं
समझदार हो जाते हैं
जिद नहीं करते
आखिर दोनों का योगदान
बच्चों का भी पैरेन्टस का भी
नहीं तो मुश्किल हो जाता
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