मानव यानि मतलब परस्त
निस्वार्थ भावना
यह सब कहने की बात
एकदम प्रेक्टिकल
तभी तो जिससे प्यार
जिससे जुड़ाव
जो अपना
उसकी भी सांस छुट जाने पर
वह भी साथ छोड़ देता है
दफन या फूंक देता है
अपने ही हाथों अग्नि लगाता है
दो मुठ्ठी मिट्टी डालता है
मिट्टी के शरीर को मिट्टी के हवाले कर देता है
राख को नदी में विसर्जित कर देता है
नदी माता और धरती माता उसे अपनी गोद में फिर ले लेती हैं
मानव नहीं लेता
तुरंत ही क्रियाकर्म कर छुटकारा
बाद में हर साल श्राद्ध करता है
उनके नाम से पूजा पाठ करवाता है
याद करता है पर मरता नहीं
सांसों की डोर ही सबको बांध रखती है
एक बार वह टूट जाएं
तब सब खत्म
यह उसको अच्छी तरह पता है
रो - धोकर अपने आप शांत हो जाएगा
धीरे-धीरे सब सामान्य हो जाएंगा
जीवन फिर पटरी पर
वह अपना कर्म करेंगा
उसे मालूम है
मरने वाले के साथ मरा नहीं जाता
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Sunday, 19 December 2021
मरने वाले के साथ मरा नहीं जाता
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