Friday, 7 December 2018

विज्ञापन और असलियत

विज्ञापन का युग
दूनिया उनके पीछे दौड़ लगा रही
नित नये विज्ञापन
नये नये कलेवर
अलग अलग सेलिब्रिटी
लोग उनका अनुकरण करते
एक अभिनेता तो इसमें इतने माहिर
हर तीसरा विज्ञापन उनका
देख देख कर थक जाय इंसान
प्रोडक्ट को बेचना है
होड़ लगी है
साधु संत भी शामिल
कोई प्रकृति का वरदान का वर्णन कर रहा
तो कोई नायक हवा मे अठखेलियां कर रहा
तो कोई ठंडा ठंडा कूल कूल रहा
किसी के दांत मे रात की खाई सब्जी दिखाई दे रही
तो किसी की साड़ी दूसरे से सफेद
यह तो प्रचार है
पैसे कमाने का जरिया है
सच मे ऐसा है क्या
अगर ऐसा होता तो
हाल ही मे एक सेलीब्रिटी की शादी मे जम कर आतिशबाजी हुई
जबकि वह प्रदूषण के खिलाफ है
उसकी ब्रेंड एम्बेसडर हैं
कोई बात नहीं
शादी रोज रोज तो नहीं होगी
वह भी इंसान है
पर यह याद रखना कि
साथ मे सेलीब्रिटी भी है
लोगों पर छाप छोड़ते हैं
लोग उनका अनुकरण करते हैं
नेताओं ने तो इनको भी पीछे छोड़ दिया
जम कर पैसा बहाया जाता है समारोहों मे
वह भी एक.तरह का विज्ञापन ही है
देश के न जाने कितने परिवार को दो जून
का खाना भी नसीब नहीं होता
वहाँ कुछ प्रतिशत लोगों को विज्ञापन के भ्रमजाल
मे उलझाया जाता है
बाकी उनकी नकल
अगर उसके पास तो मेरे पास क्यों नहीं
यही से हीन भावना शुरू
जो कि आगे जाकर भयंकर
विज्ञापन हो ठीक है
पर लोगों को विज्ञापनों का गुलाम न बनाना जाय
यही टूथपेस्ट
यही गाडी
यही तेल
यही मैगी
यही औषधि
इनके बीच उलझता सामान्य इंसान

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