पापा आप हमसे दूर रहते थे
सब बच्चों को हम देखते थे
उनके पापा उन्हें घुमाने ले जाते थे
उनके लिए खिलौने लाते थे
कपडे खरिद कर देते थे
उनकी बातें सुनते थै
आप तो कुछ दिन के लिए आते थे
अपने में ही रहते थे
खाते पीते टी वी देखते और जाते
हम डर डर कर रहते
मम्मी को पैसा देते और जाते
आप कहते
तुम लोग के लिए दूर रहता हूँ
नौकरी है
पर आप तो मन से भी दूर रहे
हम कभी आपके पास न आ सके
न आपने आने दिया
एक डर की मजबूत रेखा खीच रखी थी
पर अब तो आप सेवानिवृत्त हो गए
नौकरी की मजबूरी नहीं
फिर भी आप खुश नहीं
वैसे ही
केवल अपने से मतलब
अपनी सुख सुविधा
अपना खाना पीना
मोबाइल में व्यस्त
कुछ हुआ तो नाराज
आपको ही मनाना पडता है
आप तो स्वार्थी है
आप हमारे लिए नहीं अपने लिए जीते हैं
जो मन आया करते हैं
नहीं तो जाने की धमकी देते हैं
आप क्या बच्चों के सामने उदाहरण प्रस्तुत करेंगे
पहले बाप बने
तब हक जताए
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
No comments:
Post a Comment