Sunday, 16 February 2025

वे लोग

वे लोग वे पल
वह साथ बिताए क्षण
जेहन में सब हैं 
कुछ हैं कुछ नहीं
कुछ इस जगत में
कुछ रुखसत कर दूसरी दुनिया की सैर पर 
सफर जिंदगी का साथ चला था उनके 
यादों में ताजा अब भी 
वह अपनापन 
वह प्यार 
वह नोक-झोंक 
कुछ भी तो नहीं भूला 
आज सब अपनी अपनी राह
कभी हमराह थे 
सफर को साथी थे 
सुख - दुख बांटा था
साथ बैठे हंसे - खिलखिलाएं थे 
कभी नाराज तो कभी मनुहार होता था 
कभी हक जताया तो कभी गले लगाया
हर समस्या को मिल जुलकर सुलझाया 
अपना कौन पराया कौन 
जवानी जिनके साथ गुजारी 
दिन के आधा उनके साथ बिताया 
सहमित्र- सहकारी हमारे 
हम न भूल पाएं उन्हें 
सही है वह और सटीक भी
   लो भूली दास्तां फिर याद आ गई 

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