मानसून का इंतज़ार हो रहा था, बरखा रानी आ भी गयी,
सब के मन प्रसन्न हो गए लेकिन साथ में समस्याएं भी आ गयी,
गट्ठर - नाले भरने लगे, गंदा पानी जमने लगा, बीमारिया फैलने लगी,
सड़क पर गड्ढे पड़ने लगे, ट्रैफिक जाम होने लगा,
इन सब के लिए जिम्मेदार कौन ? क्या हम नहीं ?
कचरा यहाँ-वह फेकते रहते है, प्लास्टिक को थैलियों के बिना हमारा काम नहीं चलता,
सारा वातावरण प्रदूषित हो रहा है, गाडी की आवश्यकता न हो तो भी प्रतिष्ठा के लिए चाहिए,
स्वयं का घर स्वछ रखे, बाहर भले गंदगी पसरी रहे,
हमें अपना नजरिया बदलना होगा, देश को भी अपना घर समझना होगा,
उसकी संम्पत्ति की रक्षा करनी होगी, अधिकार के साथ-साथ अपने कर्तव्य का भी भान रहना चाहिए,
केवल सरकार ही इन सबके लिए ज़िम्मेदार नहीं, हर व्यक्ति ज़िम्मेदार है।
सब के मन प्रसन्न हो गए लेकिन साथ में समस्याएं भी आ गयी,
गट्ठर - नाले भरने लगे, गंदा पानी जमने लगा, बीमारिया फैलने लगी,
सड़क पर गड्ढे पड़ने लगे, ट्रैफिक जाम होने लगा,
इन सब के लिए जिम्मेदार कौन ? क्या हम नहीं ?
कचरा यहाँ-वह फेकते रहते है, प्लास्टिक को थैलियों के बिना हमारा काम नहीं चलता,
सारा वातावरण प्रदूषित हो रहा है, गाडी की आवश्यकता न हो तो भी प्रतिष्ठा के लिए चाहिए,
स्वयं का घर स्वछ रखे, बाहर भले गंदगी पसरी रहे,
हमें अपना नजरिया बदलना होगा, देश को भी अपना घर समझना होगा,
उसकी संम्पत्ति की रक्षा करनी होगी, अधिकार के साथ-साथ अपने कर्तव्य का भी भान रहना चाहिए,
केवल सरकार ही इन सबके लिए ज़िम्मेदार नहीं, हर व्यक्ति ज़िम्मेदार है।
No comments:
Post a Comment