गुजरात का एक गाँव जहा बच्चे नदी पार कर हर रोज़ पाठशाला जाते है। नदी किनारे तैयार हो कर आते है, फिर पीतल के हंडे में अपना बस्ता , किताबे , और कपडे उतार कर रखते है , दूसरे किनारे पर पहुंच कर हंडे में से अपनी किताबे और कपडे निकालते है इसके बाद पाठशाला जाते है। सुना था गरीबी के कारण पैसा न होने के कारण लाल बहादुर शास्त्री गंगा पार कर पाठशाला जाते थे। लेकिन आज यह देख - सुन कर आश्चर्य होता है।
क्या यही है गुजरात के विकास का मॉडल। वह भी इक्कीसवी सदी में ??? उन्नति और विकास की बाते की जाती है वहाँ पर अपने जान पर खेल कर बच्चो को पढाई करना पड़ता है। इस नदी पर सरकार ने इसपर से उसपार जाने के लिए पुल का निर्माण तक नहीं किया या उन गावो के बच्चो के लिए पाठशाला तक नहीं खोली।
यह कौन से भारत और कौन से गुजरात मॉडल की तस्वीर है समझ में नहीं आता।
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