Thursday, 14 August 2025

स्वतंत्रता दिवस आया है

स्वतंत्रता दिवस आया है 
खुशियां साथ लाया है 
वैसे तो हर वर्ष आता है 
हम जोश से मनाते हैं 
झंडा फहराते हैं 
छुट्टी का उपभोग भी करते हैं 
क्या हो रहा है देश में 
क्या हो रहा है समाज में 
क्या हो रहा है पड़ोस में 
क्या हो रहा है परिवार में 
हम सबसे अंजान 
देश - दुनिया से बेखबर 
अपनी ही दुनिया में मस्त 
यह तो स्वतंत्रता नहीं है 
जागरुकता जरूरी है 
अपने अधिकार के प्रति सजगता भी 
देश के नागरिक 
इन नागरिकों से देश बनता है 
हर एक की भागीदारी जरूरी है 
जंगल में मोर नाचा उससे हमें क्या 
हमने तो नहीं देखा 
कोई शासक आए 
हमें क्या 
पड़ोसी से युद्ध हो 
हमें क्या 
हम शांति से घर में बैठे हैं ना 
कोई भी विवाद हो 
न हमें बोलना न बीच में पड़ना 
यह बात शायद हमारे स्वतंत्रता के बलिदानियों ने नहीं सोची होगी 
अगर ऐसा तो जवाहर जेल में नहीं रहते 
सुभाष बाबू प्रशासनिक नौकरी को लात नहीं मारते 
गांधी नंगे फकीर बन नहीं घूमते 
भगतसिंह इश्क की पेंगे लड़ाते 
आजाद , आजादी से घूमते , भेष बदल कर भटकते नहीं 
लेकिन नहीं 
इनको देश से प्यार था 
स्वतंत्रता माझा जन्म सिद्ध हक्क आहे 
वह हमें मिलना ही चाहिए 
तिलक - गोखले भाषा विवाद में नहीं पड़े 
तब सब भारतीय थे 
नमक सबका था 
रगों में खून हिन्दुस्तानी था 
कोई अशफाक था तो कोई खुदीराम था 
भारत सबका था 
आज भी है 
इस मां से हमें कोई वंचित नहीं कर सकता 
जननी की रक्षा- सुरक्षा  भी तो हमारा कर्तव्य है 
अधिकार तो है जिम्मेदारी भी तो है 
यही तो हर साल आजादी आकर हमें बताती है 
कुछ याद उन्हें भी कर लो 
जो लौट के घर ना आए  

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