तू मुझे बहुत प्यारा
मेरी संतान तो बाद में
उनसे पहले तू ही है
हमेशा मंगल कामना की है ईश्वर से
बचपन से ही तेरी कवच बन खड़ी हूँ
तुझ पर न कोई आंच न आएं
मां जाया है तू
सहोदर एक ही बार मिलते हैं
अमूल्य रिश्ता जो खून से बंधा होता है
एक संतान और दूसरा भ्राता
एक जन्मजात दूसरे को जन्म
बहुत दुर्लभ संबंध है
इसे समझना सबके बस की बात नहीं
कोई भी बहन कैसी भी हो
अपने भाई का बुरा कभी नहीं सोच सकती
उसे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए
बस दिल से प्रेम और सम्मान चाहिए
वह भाई में अपने पिता की छवि देखती हैं
बहन अगर अभाव में न हो
तब तो उसे बस अपनापन का भाव चाहिए
संपत्ति नहीं
एक वही है
जो अपने मायके की बड़ाई करने में झूठ बोलने से नहीं हिचकती
उसे गुरुर होता है अपने ब्रदर पर
इसे समय-समय पर जताने में वह कभी नहीं हिचकती
भैया के सामने सैया रहता फीका
जिसके विरोध में एक शब्द न बर्दाश्त कर सकती
वह होती है बहना
उससे संबंध कभी न तोड़ना
ऐ मेरे भाई सुन
तुझसे ज्यादा न कोई प्यारा
तू तो है मेरे जिगर का तारा
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