Thursday 25 December 2014

बाबूजी आप बहुत याद आते है।

२५ दिसंबर आज ही के दिन बाबूजी चले गए, शान्ति और अहिंसा के मसीहा के जन्म दिवस पर,
स्वयं के जीवन में भी ईमानदार और बुद्धिमान शक्शियत, हाँ लोग शायद उनको अच्छी तरह पहचान नहीं पाये।
अक्सर उनका कहना की "मैंने जिंदगी में धोखे खाए है, पर किसी को धोखा नहीं दिया",
"लोगो ने भले मेरे साथ बईमानी की, पर मै हमेशा ईमानदार रहा",


अंग्रेजी के एक - एक शब्द को घुट्ठी की तरह घोल कर पी जाना, गीता के हर श्लोक को बारीकी से समझना,
विचारो से आधुनिक, पेहरावे से सीधे - साधे, अपने बच्चो से बेहिसाब प्यार, उनके साथ बच्चा बना रहना,
उनके गुस्से और डाट को भी हस कर झेलना, गलती पर बच्चो से माफ़ी भी माँगना,
स्वयं नीचे बैठना, उनको ऊपर बैठाना, किसी पर कोई बोझ नहीं,
एक चटाई, चादर, तकिया और नैपकिन यही उनकी पूँजी थी।
रुपया - पैसा तो बच्चो के लिए था।

गर्व होता है अपने बाबूजी पर, अपनी मर्जी से जीने वाला इंसान, प्यार बाटने वाला और दाग रहित चरित्र पर,
शायद उनके बच्चो की उन्नति में उनका ही आशीर्वाद हो।  कहावत है ना :

"पुत्र बड़े पिता के धरमे, खेती बाढे अपने करमे"


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