मै एक स्वतंत्र व्यक्ति हूँ पर यह सच है क्या?
स्वतंत्र देश,हर चीज की आजादी ,रहने ,खाने पीने घूमने सोचने की फिर भी मै खुश नही
डर लगा रहता है हमेशा
घर से बाहर निकला तो हूँ पर वापस लौटूगा या नही
कही दुर्घटना हो गई तो घर मे चोरी हो गई तो
दफ्तर समय से पहुँचुगा या नही
कब काम से निकाल दिया जाऊ पता नही
बेटी पढने गयी है सुरक्षित घर वापस आएगी ना?
बेटे को एडमिशन और नौकरी मिलेगी ना?
बैंक से लिया कर्ज चुका पाऊगा या नहीं
क्यो हम परेशान है न चैन से जीते है न मरते है
चारो तरफ भ्रष्टाचार,मंहगाई,लूट खसोट,अपराध
छेडछाड,बलात्कार ,की बातें ही सुनाई दे रही है
हमारे नेता ,देश के कर्णधार जुमले पर जुमले पर छोड रहे हैं
संसद को दंगल का अखाडा बना दिया है
आम आदमी की जिन्दगी को नर्क बना दिया है
जी रहे है हम डर के साये में
फिर भी हम गर्व से कहते है
हम भारतीय है हम भारतीय है
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Wednesday, 9 September 2015
हम भारतीय है स्वतंत्र हैं
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment