Friday, 1 January 2016

कुछ तो बात है अरविंद केजरीवाल में

एक व्यक्ति अपनी सरकारी नौकरी छोडकर राजनीति में आ जाता है और कम समय में प्रसिद्धि पर पहुँच जाता है
अन्ना के आंदोलन से जुडना और धरना प्रदर्शन कर दिल्ली के मुख्यमंत्री पद तक पहुँचना इतना आसान तो नहीं है
जिसको हासिल करने के लिए नेतागण अपनी पूरी जिंदगी लगा देते है उसी को प्राप्त कर लेना
एक बार नहीं दूसरी बार भी दिल्ली की जनता उन पर विश्वास कर पूर्ण बहुमत देती है एक नौसिखिए  जिसको राजनीति का ककहरा भी न मालूम न हो
आज तक किसी ने कौन सा मुख्यमंत्री देखा होगा जो धरने पर सडक पर सो जाता हो
एक स्वेटर और मफलर धारण कर और खॉसते हुए
फिर भी जनता को वे भा गये
सम और विषम का फार्मूला लगाना दिल्ली वासियों के लिए यह किसी सामान्य नेता के बस की बात नहीं
प्रधानमंत्री के पीछे पीछे बनारस तक पहुँच जाना
और खडा होना
पत्रकारों के बातों का ऐसा जवाब देना कि बडे बडे भी लोहा मान जाय
प्रधानमंत्री को सीधे सीधे चुनौती देना
यह काम तो साधारण आदमी के बस की बात नहीं
और यही तो भारत के प्रजातंत्र की खासियत है
आड और इवन का फार्मूला लगाना और बस और साइकल से नेताओ को सवारी करवा देना
दाद देना पडेगा आपकी हिम्मत को.
पर्यावरण और दिल्ली को बचाने की मुहिम में आज प्रथम दिन तो वे करीब करीब कामयाब हुए हैं
वर्ष के प्रथम दिन ही दिल्ली वासियों पर यह कानून लगाना कहॉ तक सफल होता है यह तो पता नहीं
पर शुरूवात तो की ही है

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