प्रधानमंत्री मोदी की इच्छा और आंकाक्षा भारत को स्वच्छ देखने की
जब वह विदेश में सफाई देखते थे उनका भी मन भारत को वैसा ही देखने का मन करता था
देश की बागडोर हाथ में आने पर पहला प्रयास उन्होंने यही किया स्वच्छता अभियान चलाने का
पर हमें तो उसकी आदत हो गई है
जगह -जगह थूकने की कचरा फेकने की हमारी आदतों में शुमार है
उसमें लोगों को कुछ भी गलत नहीं लगता
टोकने पर बोलेगे कि आपसे क्या मतलब या
केवल हम नहीं थुकेगे तो क्या थुकना बंद हो जाएगा
सही भी नाक साफ कर लेना
रही बात शौचालय की तो वह तो कही भी बन जाता है
वैसे भी शौचालयों की इतनी बुरी अवस्था है कि बाहर करना ही वह ठीक समझता है
गंदगी का साम्राज्य रहता है वहॉ
फिर वह चाहे कोई भी जगह हो
और करने वाले ही हम ही होते हैं
प्रधानमंत्री को तो हर गॉव- गॉव ,शहर -शहर में पहले लोगों को प्रशिक्षित करने वालों को नियुक्त करना चाहिए
पाठशालाओं में भी प्राथमिक शिक्षा के साथ इसकी भी शिक्षा देनी चाहिए
हमारा कोई नागरिक विदेश से लौटता है तो वह अपने ही देश को देखकर नाक भौं सिकेडता है
कब हमारा देश स्वच्छता में भी महान बनेगा
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Wednesday, 6 January 2016
स्वच्छता - कब हम बदलेंगे
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