यह जो देख रहे हैं उसमें एक पिता की विडंबना और आज के युग की युवा की बेबसी और उसकी योग्यता का मजाक है
शिक्षा के साथ बेकारी की समस्या भी मुँह बाए खडी है
ऐसा लगता है बच्चो की शिक्षा पर मेहनत और खर्च करना बेकार है
पढ - लिखकर भी यह जलालत सहना
इंजीनियर आज मजाक में लिए जा रहे हैं
वे पॉच हजार रूपयों की नौकरी करने पर भी मजबूर है
अपनी फीस का खर्चा भी वे निकाल नहीं पाते
बेबसी में उन्हें लगता है कि कम ही पढे होते तो
निराशा धर कर लेती है और वह कभी-कभी भयंकर रूप धारण कर लेती है
बजट आने वाला है आशा है इस बात पर ध्यान दिया जाएगा
युवाओं की प्रतिभा का सही उपयोग होना चाहिए
पढ -लिखकर जब बाहर आए तो सम्मान के पात्र हो
यह तभी मुमकिन है जब वे आत्मनिर्भर हो
सम्मान से जीवनयापन करें और इसके लिए एक अदद नौकरी की जरूरत है
उनके लिए रोजगार निर्माण किया जाय
ताकि विदेशों में भी उनके पलायन को रोका जाय
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Thursday, 25 February 2016
यह मजाक नहीं आज की हकीकत है
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment