Saturday, 5 March 2016

मनोज कुमार को दासाहब फालके पुरस्कार - भारत कुमार का सही सम्मान

अभिनेता मनोजकुमार को ४७ वा दादा साहब फालके पुरस्कार के लिए चुनना गौरव की बात है
फिल्म जगत में उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता
एक से बढकर एक देशभक्ति की फिल्में इस भारत कुमार ने दी है
जो सदियों तक याद रहेंगे ,एक से एक लाजवाब उनकी फिल्मों के गाने जिसे सुनकर मन में आजादी हिलोरे लेने लगती हो
फिर वह चाहे - मेरा रंग दे वसंती चोला हो या
  मेरे देश की धरती सोना उगले-उगले हीरे - मोती
गॉवों को उन्होंने साकार रूप दिया , आज भी रहट और बैल शब्द गूंजते हैं
उपकार में तो उन्होंने देश का वह गौरव दिखाया है कि नाज होता है- भारत का रहनेवाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ
आजादी की बात हो या विस्थापित की बात हो या विदेश में बस गए भारतियों की बात हो       
पूरब - पश्चिम के ट्वींकल - ट्वीकल लिटिल स्टार को सुनते ही हँसी आ जाती है और यहॉ के विवाह और माता- पिता के साथ संबंध तथा भारतीय संस्कार जहॉ हम नदियों को भी मॉ का दर्जा देते हैं
कितने शानदार ढंग से फिल्में बनाई
स्वतंत्रता के बाद की समस्या भी अपनी फिल्म
रोटी,कपडा और मकान में दिखाई
भारत का हर रूप का वर्णन उनकी फिल्मों में है
ऐसी फिल्में फिर शायद बनना मुश्किल है
जय जवान जय किसान और आम भारतीय को बखूबी दर्शाना                                                              
कल उनका  इंटरव्यू में जो उन्होंने पत्रकार से कहा कि
मोदी जी को काम करने दीजिए
वे मन की बात मन से करते हैं ,इसके पहले किसको स्वच्छता की चिंता सताई थी  ,बीज डालने ,अंकुर उगने और पनपने में समय तो लगता ही है
कोई जादू की छडी नहीं है घुमाया और हो गया
मतलब आज भी उनके जेहन में देश बसा हुआ है
ऐसे अभिनेता को सम्मान मिलना ही चाहिए
भारत कुमार लाखों में एक ही होते हैं और वह है मनोज कुमार.    -  जयभारत

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