Saturday, 4 June 2016

कृष्ण की नगरी मथुरा में मृत्यु का तॉडव और युद्ध की स्थिति

मथुरा के जवाहरबाग में जमीन पर अनैतिक कब्जे को हटाने के लिए गए पुलिस कर्मियों पर जानलेवा हमला
पुलिस अधिकारियों कीऔर सिपाहियों की मौत तथा घायल होने का जिम्मेदार कौन????
स्वयं पुलिस प्रशासन ,मुख्यमंत्री या सॉसद या फिर उग्रवादी जनता
इतनी हिंसक घटना पहले शायद कभी नहीं हुई थी
पुलिस पर गाहे - बगाहे हमला हो रहा है
कभी थप्पड मारा जाता है तो कभी गाडी से कुचलकर
जनता उन्हें हिकारत से देखती है
नाम बदनाम है ,
पुलिस कर्मियों का भी परिवार है
उनकी भी जान है
उनके प्रति जनता का यह रवैया ???
आज उनके मरने पर कोई नहीं बोल रहा है बल्कि उन पर ही उंगली उठाई जा रही है
वे अपनी ड्युटी करने गए थे
अगर जनता ही पुलिस को दौडा कर पीटे और उन पर हमला करें तो यह बहुत घातक है
यह खतरे की घंटी है जिसको नजरअंदाज नहीं करना चाहिए
अपराधियों को सख्त से सख्त सजा हो
पुलिस बल को मजबूत बनाया जाय
कहीं भी जमीन का अतिक्रमण कर लिया जाता है
उस पर अवैध तरीके से कॉलोनियॉ बना दी जाती है
भू माफिया का राज चलता है
बिजली - पानी सब मुहैया करा दिया जाता है
बंदूक ,हाथगोले ,रायफल से सुसज्जित इन दंगाखोरो ं की इतनी हिम्मत
कानून व्यवस्था का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है
इनको पनपने ही न दिया जाय
कमोबेश सभी शहरों का यही हाल है
यहॉ तक कि कहीं भी पूजा स्थल का निर्माण कर लिया जाता है फिर  उनको हटाने में प्रशासन और पुलिस को नाको चने चबाने पडते है
मुम्बई में कुछ साल पहले पुलिस कमिशंनर खैरनार ने अवैध बने हुए को खत्म करने का बीडा उठाया था
पर अब वहीं हाल
और बाद में सबके लिए परेशानी
पुलिस वाले तो मरे ही हैं, और नागरिक भी मरे हैं
यह स्थिति आने ही क्यों दी गई
हेमामालिनी जी मथुरा की सॉसद और भजपा की केन्द्र में सरकार है
यह राज्य और केन्द्र दोनों की जिम्मेदारी बनती है

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