आज मैं आजाद हूँ
लोग आजादी का जश्न मनाने की तैयारी में है
सारे गली- सडक पर तिरंगा फहराया जाएगा
मिठाई बटेगी ,प्रभात फेरी निकलेगी
विद्यालय ,महाविद्यालय से लेकर मंत्रालय तक
हर जगह जश्न ही जश्न
लाल किले से प्रधानमंत्री राष्ट्र के नाम संदेश देगे
हर राज्य के मुख्यमंत्री और नेतागण झंडावंदन करेंगे
क्या अमीर क्या गरीब ,क्या धर्म क्या जाति
सब भेद खत्म आज
यह आजादी इतनी सस्ती नहीं थी
लोगों ने अपने प्राण गवाए
स्वंय गिरे पर तिरंगा को न गिरने दिया
हर किसी का योगदान था
बूढे ,बच्चों से लेकर घर की औरतों तक का
हर मजहब और जाति का
हर भाषा और प्रांत का
१८५७ से शुरू हुआ १९४७ में खत्म हुआ
जश्ने आजादी के बाद ही यह मेरी विडंबना
कि मेरे बेटे आपस में ही झगडने लगे.
विभाजन का दंश सहना पडा
गॉधी की हत्या हुई
लेकिन फिर भी मैं हारा नहीं
सवंर कर फिर खडा हुआ
विकास के रास्ते पर ,प्रगतिपथ पर
इसी बीच मुझे पडोसियों से युद्ध भी करना पडा
उसका भी मैंने सामना किया
१९६५ को छोडकर हमने हर बार जीत हासिल की
दूसरे पर निर्भर रहने वाला मैं सशक्त हुआ
कल- कारखाने से लेकर मंगल यान तक का सफर
योग से लेकर आयुर्वेद तक
हर जगह परचम पहराया
मेरे बच्चें दूनियॉ का हर कोने में पहुँचे
अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया
क्म्युटर से लेकर डिजीटल बनने की तैयारी जारी
पर अब भी कुछ कमी है .
जाति और धर्म के नाम पर झगडे
भ्रष्टाचार का बोलबाला
आंतकवाद और नक्सलवाद से ग्रस्त
बलात्कार और लूटपाट ,अपराध से त्रस्त
अस्वच्छता और गढ्ढो तथा दुर्घटना का बढना
मैं इन सब बुराइयों से मुक्त होना चाहता हूँ
पहले मेरे बच्चों ने देश के लिए अपनी जान दी
आज वह देश के लिए जीना सीखे
उसे अच्छे से अच्छा बनाए
दुनियॉ के शिखर का चमकता सितारा बनाए
फिर से सोने की चिडियॉ कहलाए
इस स्वतंत्रता दिवस पर हर नागरिक अपने कर्तव्य का ईमानदारी से पालन करने का संकल्प ले
तभी तो इकबाल की पंक्तियॉ सार्थक होगी
" यूनान ,मिस्र ,रोमा सब मिट गए जहॉ से
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सारे जहॉ से अच्छा हिन्दूस्तान हमारा ".
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