आज मेजर ध्यानचंद ,हॉकी के महान खिलाडी का जन्म
हॉकी के इस जादूगर का खेलते समय स्टिक चिपक जाती थी और वैसा हॉकी का करतब फिर नहीं दिखा
खेलों को बढावा देना ,प्रोत्साहित करना
आज की मांग
१२१ करोड वाले देश को केवल दो पदक
पदकों के लिए तरसता देश
हम शिक्षा पर तो खर्च कर सकते हैं पर खेलों पर नहीं
क्योंकि वहॉ भविष्य उम्दा नजर नहीं आता
" खेलोगे - कूदोगे बनोगे गँवार
पढोगे - लिखोगे बनोगे नवाब"
यह धारणा थी पर समय बदल रहा है
खेल दम- खम और गति का ही नहीं
प्रसिद्धि और संपत्ति भी दिला रहा है
लडके क्या लडकियॉ भी बढ- चढकर भाग ले रही है
अपने जलवे भी दिखा रही है
मैदान पर बाजी मार रही है
पर फिर भी बहुत कुछ बाकी है
हॉकी ,कबड्डी ,कुश्ती तो हमारे पारंपरिक खेल है
इनमें तो हम सबको पछाड ही सकते हैं
खिलाडी खेले ,खेल भावना से न कि स्वार्थ से
लालच और स्वार्थ जहॉ ,वहॉ खेल तमाम.
बल्ला घुमाएं तो तेंडुलकर जैसे
मुक्केबाजी मैरी कॉम जैसे
दौड लगाए तो पी टी उषा की तरह
कमाल दिखाए तो सिंधु और पटखनी दे तो साक्षी के भुजदंडो से
खेल केवल खेल हो ,भ्रष्टाचार का उसमें नाम - निशान न हो
खेल में अग्रणी हो हमारा हिन्दूस्तान
ओलंपिक में तिरंगा फहराए और शान दिखाए.
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Monday, 29 August 2016
राष्ट्रीय क्रीडा दिवस - हॉकी के जादूगर ध्यानचंद का जन्मदिन
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