Friday, 19 August 2016

प्रदूषण का बढता साया

प्रदूषण ,प्रदूषण ,प्रदूषण - हर जगह प्रदूषण
हवा में पानी में ध्वनि में ,प्रदूषण का बढता मायाजाल
वातावरण में शैतान सा पसरता
सागर ,नदी या ताल- तलैया
गॉव ,नगर या महानगर
सडक हो या खेत - खलिहान
सब्जी ,पानी ,हवा सब जहरीली
श्वास लेने में कठिनाई
ईमारतों का गगन चूमना
जीवन शैली पर प्रभाव
बीमारियों से ग्रसित होना
दूध - दही तो मिलावटी
कुछ  भी शुद्ध नहीं
      और.  चरित्र
सबसे ज्यादा प्रदूषित
नैतिकता पुकार रही ,दुहाई दे रही
पर उसकी कौन सुनता है
अपनी जेब भरना है कैसे भी ,किसी भी कीमत पर
विकास भले लोगों के विनाश से हो
हम सलामत तो सब सलामत
दुनियॉ जाए भाड में ,हमें क्या पडी....

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