आवाज का जादू वह जादू है जो दिखाई तो नहीं देता पर वह बडे- बडे करतब कर जाता है कि सदियों तक कायम रह जाता है
वह अपने चारों ओर इंसान को लपेटता है
एक कटु बोली की खाई को भरने में उम्र निकल जाती है पर कटुता समाप्त नहीं होती
घाव भरता तो नहीं पर नासूर जरूर बन जाता है
वहीं एक मीठी वाणी सुनने को लोग सदियों से तैयार रहते हैं
कानों को अच्छा लगे ऐसी बोली हर कोई चाहता है
यह मानव को कुदरत का वरदान है
पर इसका इस्तेमाल करने में वह कोताही कर जाता है
जिसको सोच- समझ कर बोलना है वहॉ लापरवाह हो जाता है
और उसका परिणाम भुगतता है
एक बार तरकश से निकला हुआ तीर जैसे वापस नहीं आता वैसे ही वाणी से निकला हुआ वार कभी खाली नहीं जाता
और जब यह मीठा बोलता है तो सर चढ कर बोलता है और किसी अजनबी को भी अपना बना लेता है
इसमें कटुता और मिठास दोनों है
यह व्यक्ति के स्वयं के चुनाव पर है कि वह क्या चुनना चाहता है
लोगों के दिलों में रहना है या बाहर
इसमें कोई खर्च भी नहीं है बस संभाल कर इस्तेमाल करना है
और जिसको यह कला आ गई वह जग जीत सकता है
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Tuesday, 13 September 2016
आवाज का जादू
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