जब- जब चुनाव का समय आता है
भगवान राम याद आने लग जाते हैं
जीतने पर फिर वह पॉच साल के वनवास पर चले जाते हैं
रानी कैकयी ने तो राम को चौदह वर्ष का वनवास दिया था वह भी एक बार
बाद में पश्चाताप भी किया
पर इस कलयुग में तो हर पॉच वर्ष में वनवास
भगवान राम को अपने ही घर में जगह नहीं मिली
हॉ,उनके नाम पर राजनीति कर लोगों ने सत्ता में अवश्य अपनी जगह स्थापित कर ली है
सत्ता पाने पर भूला दिया जाता है
कौन राम , किसके राम ,कहॉ के राम
घर्मनिरपेक्ष राजनीति शुरू हो जाती है
सभी की धार्मिक भावनाओं का ख्याल जो रखना है
तो फिर एक धर्म के लोगों की भावनाओं से खिलवाड क्यों???
क्यों और लोग अपना दिल बडा करते
राम के नाम पर संग्रहालय बनाये जाने का प्रस्ताव मोदी सरकार का है
पर जन्मभूमी पर राममंदिर क्यों नहीं.
क्यों नहीं जन्मभूमी का मसला हल किया जाय
अपनी सत्ता को स्थापित करने से पहले मंदिर निर्माण कर भगवान राम को स्थापित करे
या फिर कोई राजनीति न करे
राम को ही भूल जाय
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Wednesday, 19 October 2016
राम के नाम पर राजनीति
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