ऐसा क्यों होता है भूलने वाली बात ताउम्र याद रहती है
याद रहने की बात भूला दी जाती है
दुख याद और सुख भूला देते हैं
सौ दुख के सामने एक दुख भारी
उम्र भर पीडा में घुटते रहते हैं
किसी ने लाख भलाई की हो पर एक बुराई सारी अच्छाइयों पर पानी फेर देती है
हमेशा मीठे बोलने वाले की एक गहरी बात मन में इस तरह चुभ जाती है कि मन का प्यार खत्म
न जाने कितनी बार सम्मान किया हो पर एक बार का अपमान आजीवन याद रहता है.
न जाने कितनी बार स्वागत सत्कार किया हो
सामने पकवानों की थाली परोसी हो पर एक बार नहीं दिया तो वह याद रहता है
हमारी अपेक्षा न पूरी होने पर दुख
यह अपेक्षा हमेशा अपनों से ही
बेगानों का तो भूला दिया जाता है
हमेशा हमारी इच्छा नुसार हो यह संभव नहीं
सुख- दुख ,मान- अपमान ,स्वागत- सत्कार ,अच्छा- बुरा
यह तो जीवन के अभिन्न अंग है
हर बात कुछ न कुछ सिखाती है
हर पल कुछ न कुछ सिखाता है
जीवन जीने का तरीका ,यह हम पर निर्भर है
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Wednesday, 12 October 2016
हम भूलते क्यों नहीं !???
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