हमारी पाठशाला में बाल दिवस मनाया गया
यह तो बच्चों का दिन होता है
खूब तैयारी की गई थी
कई तरह के कार्यक्रम थे
बच्चों ने बहुत मौज - मस्ती की
खूब नाचे- गाए ,गाने पर थिरके
थीम था रेनबों का
बच्चे रंगबिरंगी पोशाक में आए थे
क्या सुंदर दिखाई दे रहे थे
लगता था सच में इंद्रधनुष जमीन पर उतर आया हो
अपने- अपने घरों से कुछ स्वीट्स और स्नेक्स भी लाए
आपस में शेयर कर और मिल- बॉटकर खाना था
पैरेन्ट्स ने भी बहुत मात्रा में दिया था
ताकि सब पेट भर कर खाए
तमाम तरह के व्यजंन जैसे ५६ भोग हो
बच्चों ने टीचर्स को भी तथा और स्टाफ को भी दिया
एक क्लास की एक बच्ची भरवॉ करेला ले आई
मेरे कहने पर कि सामने टेबल पर रख दो
अभी सब लोग आएगे तो बाद में हम खाएगे
क्योंकि हर क्लास अपना- अपना लाकर रख रहा था
पर उस बच्ची ने कहा
यह केवल आपके लिए है
क्योंकि आप मिठाई नहीं खाएगी
आपको डायबिटिज है न
मैं अवाक रह गई
फिर तो मैंने मिठाई और समोसे- कचोरी को देखा तक नहीं
करेला तो कडवा होता है पर वह करेला तो मिठाई को भी मात कर रहा था
करेला वैसे मेरी मनपसन्द सब्जी रही है तो हमेशा ही वह खाती रहूँगी
पर इस भरवॉ करेले को तो कभी न भूला पाउगी
जब- जब करेले की सब्जी खाऊंगी
इस करेले की याद मन में मिठास भर देगी
और चेहरे पर मुस्कराहट ले आएगी
बच्चों के मुस्कराते चेहरे के साथ
यह केवल आपके लिए हैं
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Friday, 18 November 2016
जब करेला हो गया मीठा
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