बच्चा ही हमारा भविष्य है
राष्ट्र का आधार है
बच्चे से घर ,परिवार गुलजार रहता है
जीवन जीने का मकसद प्राप्त होता है
बच्चे राष्ट्र की अमूल्य धरोहर है
इसलिए इनकी देखभाल करना देश की जिम्मेदारी
इनके पालन- पोषण में कोई कमी नहीं होनी चाहिए
पढना- लिखना इनका मौलिक अधिकार है
इसके अलावा खेलना- कूदना भी
इन सब के लिए पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए
आज खेलने की जगह नहीं बची है
मैदान पर्याप्त मात्रा में नहीं है
जो है भी तो घर से दूर
बच्चा घर में ही कुंठित हो रह जाता है
उसकी बालसुलभ चंचलता प्रौढ हो जाती है
इसके अलावा पढाई का बोझ
दो साल की उम्र से ही बस्ते का बोझ
इसके अलावा बाल मजदूरी
यह सब समस्या बच्चे से जुडी है
उसका सर्वागीण विकास होना चाहिए
खेलना- कूदना ,मौज- मस्ती करना
चंचलता बच्चे का स्वभाव है
यह कायम रहना चाहिए
इसलिए पुराने समय में कहा जाता था कि पॉच साल तक बच्चे पर हाथ नहीं उठाना चाहिए
बच्चा भगवान का रूप होता है
और यह सही भी है
छल- कपट,झूठ बोलना तो वह सब बाद में सीखता है
पहले तो वह यह सब जानता ही नहीं
यह सबका कर्तव्य बनता है कि
बच्चे का भोलापन कायम रहे
उसकी मुस्कराहट बरकरार रहे
यह फूल हमेशा खिले रहे
और सबके मुखडे पर खिलखिलाहट लाते रहे
एक बडे लेखक ने कहा है
" आप जमीन पर उगने वाले हर तिनके का रक्षण करिए
कौन जाने कौन सा तिनका कब वृक्ष बन जाय"
यानि
हर बच्चे का सम्मान कीजिए कौन जाने कौन बडा होकर क्या बने
हर बच्चे में काबिलियत होती है और उसे परखना और तराशना
यह घर - पाठशाला और सरकार की जिम्मेदारी है
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Monday, 14 November 2016
बच्चा राष्ट्र की धरोहर -Happy children's day
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