मैं बेटी हूँ ,मुझे बेटा मत बनाइए
बेटी होना मेरा गुरूर ,सम्मान और असतित्व है
मैं युद्घ में लक्षमी बाई बनी
स्वतंत्रता काल में कस्तूरबा ,सरोजिनी नायडू बनी
राजनीति में इंदिरा बन दुनियॉ के नक्शे को ही बदल डाला
माया ,ममता ,जयललिता बन भारतीय राजनीति में वर्चस्व स्थापित किसा
लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार ,सुमित्रा महाजन बन बडे- बडे दिग्गजों को सीट पर बैठा दिया
अरूधंती भट्टाचार्य और चंदा कोचर बन बैंकिग को नया आयाम दिया
मिस वर्ल्ड ,मिस यूनिवर्स बन विश्व में अपना परचम फहराया
अभिनय के क्षेत्र में भी बाजी मारी
साहित्य ,गायन ,कला कहीं भी मैं कम नही
बस , ट्रेन और हवाई जहाज की भी उडान भरी
अंतरिक्ष में कल्पना चावला और सुनीता विलियम बन कर पहुँची.
कुश्ती में साक्षी मलिक बन सबको पटखनी दी
खेल में पी टी उषा और सिन्धु तथा करमाकर भी मैं
यहॉ तक कि हाथ में कोयता लिए हुई मछली वाली
गोद में बच्चा तथा सर पर बोझ उठाने वाली मजदूरनी भी मैं ही हूँ
मैं किसी की मोहताज नहीं
मैं तो घर ,परिवार और देश चलाती हूँ.
अब वह समय आ गया है कि आपको यह बोलने की जरूरत नहीं कि यह मेरी बेटी नहीं बेटा है
बेटी को बेटी ही संबोधन कीजिए
गर्व से कहे कि
यह मेरी बेटी है
यह मेरी बेटी है
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Saturday, 14 January 2017
गर्व से कहे--- यह मेरी बेटी है
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