Wednesday, 28 June 2017

चाय की बहार

चाय से ही सुबह शुरू ,चाय पर ही शाम खत्म
कब और कैसे धीरे से जीवन में घुस आई
और सब पर छा गई
बारिश का मौसम और चाय की चुस्की
साथ में गरम पकौडे और कुरकुरे पापड
तो बात ही बन जाय
जीने का मजा आ जाय
पत्तों से तो बनती है पर सबको अपने रंग में रंगती है
सुस्ती को हटाना और ताजगी भरना
फिर चाहे वह मजदुर हो या रात भर जाग कर पढने वाला विद्यार्थी
गली - नुक्कड पर तो चाय पर चर्चा आम बात
फिर चाहे वह नेता हो या मतदाता
हर विषय को समेट लेती है अपने साथ
अमीर सौ रूपये की तो
गरीब पॉच रूपये की कटिंग
कुल्हड हो या कप - बसी या फिर हो ग्लास
चुस्की तो ली ही जाती है
अब तो रुप भी अनेक
ग्रीन ,ऑरगेनिक ,मसाला ,तुलसी ,अदरक और इलायची चाय
ऑफिस में काम करते वक्त भी चाय की चुस्की लो
या मंध्यातंर की छुट्टी में
गले में खराश हो या फिर खॉसी हो
कुछ राहत तो देती है
तभी तो सबकी प्यारी यह चाय हमारी
         गर्म चाय की प्याली हो
          साथ में जीवनसाथी हो
          मौसम की मेहरबानी हो
          फिर तो हर पल सुहानी हो

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