एक सज्जन थे हँसमुख और मजाकिया स्वभाव के
मिलनसार भी थे अत: काफी जान- पहचान थी
हर किसी के दुख- दर्द में दौडे चले आते थे
खाने के भी शौकीन थे इसलिए किसी का भी निमंत्रण हो अपनी हाजिरी जरूर लगवाते थे
सुबह से भूखा रहते थे ताकि भरपेट व्यंजनों का स्वाद ले सके
पर एक बात थी वह बहुत लेट- लतीफ थे
दोस्तों को घंटों इंतजार करवाते थे
एक बार का वाकया है किसी रिश्तेदार के घर शादी थी
उनको पता था कि ऐसे समारोहों में जल्दी जाने से कुछ फायदा नहीं
और फिर आदत से मजबूर
अच्छी तरह से बन- ठनकर निकले और ट्रेन पकडी
कोई दो घंटे का रास्ता था
बीच में ट्रेन सिगनल न मिलने के कारण रूकी रही कुछ समय
पर ट्रेन में बैठे कुछ कर नहीं सकते थे
उतरने पर टेक्सी और रिक्शा भी मिलने में परेशानी हुई
क्योंकि रात के दस बज चुके थे
किसी तरह पहुंचे पर तब तक सब पोग्राम समाप्त हो गया था
हॉल वाले अपना सामान बटोर रहे थे
बाहर भी सब हॉटेल बंद हो चुके थे छोटा शहर जो था
रात भर उनको भूखे रहना पडा
अपनी आदत के अनुसार सुबह से भूखे थे ही ताकि जम कर खाएंगे
पर हुआ विपरित ही
रात भर पेट में चूहे दौड रहे थे
भूख के मारे नींद भी नहीं आई
हालत खराब थी
पानी पर काटना पडा
अब उन्होंने कान पकडा और तौबा की
अब समय से जाऊंगा
ऐसी गलती कभी नहीं करूंगा
केवल खाना ही नहीं और कुछ मदद भी करूंगा
खुल कर बातचीत करूंगा ,मिलूगा- जुलूगा
अच्छा मेहमान बनना भी चाहिए
ताकि स्वयं के साथ- साथ मेजबान को कोई परेशानी न हो
किसी के यहॉ जाना मतलब केवल खाना ही नहीं
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Wednesday, 28 June 2017
समय के पाबंद रहिए
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