Tuesday, 18 July 2017

हाय रे - तेरा झुमका रे

चेहरे की शान बढाता
तुम्हारे अंदाज को बया करता
जब बोलती हो तुम
झूम- झूमकर कहता है वह भी कुछ
झिलमिल- झिलमिल कर रहा
तुम्हारी खूबसूरती में चार चॉद लगा रहा
तुम न बोलो तब भी यह बोलता है
हिल- हिलकर यौवन को सलाम करता है
उसमें जडे मोती - मनके
तुमको भी कीमती बना जाते
सौंदर्य को और निखारता
झूमता और इतराता
तुम्हारा साथ पाकर यह भी अपने को धन्य समझता
नख से शिख तक सबको संवार देता
यह कानों का झुमका
देखने वालों के मुख से निकलता
हाय रे- तेरा झुमका रे

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