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झुमरी ने व्रत रखा है सोमवारी का । बड़की काकी बताए रही सोलह सोमवारी का व्रत रखने से दूल्हा बढ़िया मिलता है ।
दोपहर के खाने पर जब बाउजी के थाली में झुमरी नहीं बैठी तो उन्होंने कारण पूछा । उसने खुश होकर कारण बताया तो बापू उदास हो गया बढ़िया दूल्हा होगा तो बढ़िया दहेज भी लगेगा ।
बापू के दुख से वो दुखी हो गई "तो फिर क्या फायदा तोड़ दूं व्रत ? "
बापू मुस्कुराया " व्रत क्यों तोड़ेगी व्रत तो महादेव का है न ,दूल्हे का थोड़े ,ऐसा कर तू नहाधोकर जा पूजा करले और पारण कर ले । "
झुमरी नहाकर भींगे कपड़ों में ही अंजुरी भर जामुन लेकर मंदिर पहुंच गई । पुजारी देखकर मुस्कुराये "अरे छोटी भक्तिन तू सबसे पहले आ गई । "
बातूनी झुमरी ने जल्दी आने की पूरी कहानी पुजारी को सुनाकर पूछा " महादेव तो खूब जामुन खाते होंगे है न तभी तो उनका कंठ तक नीला हो गया है । मैं तो थोड़ा खाती हूं तब भी जीभ नीली हो जाती है । "
नीलकंठ की कहानी सुनकर पुजारी मुस्कुरा उठे । उसकी अंजुरी से जामुन लेकर उसकी हथेली आरती थाल के सिक्कों से भर दी और सर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया "तुम्हारी मनोकामना पूरी हो । "
झुमरी ने फौरन सवाल किया " लेकिन बापू तो कह रहा था उसमें बहुत खर्चा है ।"
पुजारी ने आशाभरी नजरों से महादेव को देखा और फिर झुमरी का चेहरा हाथों में भरकर बोले " ऐसी ही एक अंजुरी जामुन मुझे लाकर देगी तो मैं महादेव से कहूंगा तेरे बापू की शंका का भी निवारण करें ।"
झुमरी सिक्कों से भरी हथेली संभालती डोलती हुई घर लौट गई । पुजारी ने मंदिर के दान पात्र को हटाकर नया दानपत्र रखवाया है जिसपर लिखा है कन्यादान ।
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