एक व्यक्ति के घर के बाहर बगीचा था वहॉ उसने कुछ पेड लगा रखे थे
आम और बांस पास- पास थे
आम हमेशा बांस को हेय दृष्टि से देखता था
उसको लगता था कि मैं तो फलों का राजा हूँ
मेरी रखवाली की जाती है
मौसम आने पर कोयल कू- कू करती है
बौर आने पर मेरी सुंदरता में चार चॉद लग जाते हैं
फल से लदने पर और मूल्यवान बन जाता हूँ
उसने बांस से एक दिन अपने मन की बात इतराते हुए बताया
उसकी हीनता का आभास दिलाया
पर बांस कहॉ कम था
उसने तुरंत उत्तर दिया
मैं तो सदाबहार हूँ और कहीं भी उग जाता हूँ
मैं तो बचपन से लेकर मृत्यु पर्यंत साथ निभाता हूँ
मेरे ही बांबू से बनी खाट पर बच्चा अठखेलियॉ करता है
गरीब का तो मैं सहारा हूँ
मुझसे ही बनी हुई खटियॉ पर सोकर वह चैन की नींद लेते हैं
मरने पर मुझ पर ही सवार होकर अंतिम यात्रा पर प्रस्थान करते हैं
मैं हल्का भी हूँ ,मुझे आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है
ईमारते बनाने ,पंडाल सजाने में मेरा ही सहारा लिया जाता है
यहॉ तक कि तुमको भी तोडकर मेरी ही टोकरी में रखा जाता है
मैं तो घर बनाने के काम आता हूँ
गरीब के घर का छत बनता हुँ
आज तो मैं नए अवतार में कुर्सी ,सोफा और सजावट का सामान भी बनता हूँ
मैं झूला बनकर लोगों को झुलाता हूँ
बांसुरी बनकर धुन भी निकालता हूँ
मेरे ही बेत पडने से न जाने कितने नौनिहाल सफलता का परचम फहरा रहे हैं
मेरी जरूरते भी मामूली सी है
मैं तो कहीं भी उग जाता हूँ और साथ- साथ नए साथियों को जन्म देता हूँ
तुम होगे फलों के राजा
पर मैं तो सामान्य जन का प्यारा हूँ
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Sunday, 2 July 2017
बांस और आम की कहानी
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment