Saturday, 12 August 2017

हामिद अंसारी जी की व्यथा

उपराष्ट्रपति पद से निवृत्त होते हुए अंसारी जी की पीडा सामने आ गई . उनके अनुसार मुस्लिम धर्म के लोगों में बीते वर्ष में असुरक्षा की भावना बढी है
अल्पसंख्यक समाज का डर दूर करने की बात को गंभीरता से लेना है
क्यों उसे डर है??
बीते समय में गौ रक्षा , लव जेहाद , नेताओं के भडकाऊ बयान
यह सब बात तो किसी से छिपी नहीं है
भारत धर्म निरपेक्ष देश है ,सबको समान अधिकार भी प्राप्त है
फिर कोई डर के साये में क्यों जीए ??
इसके पहले भी एक - दो नामी व्यक्तियों ने यह डर जाहिर किया था
देश छोडकर जाने का सलाह दी जाती है
पाकिस्तान जाने की सलाह दी जाती है
यह तो सही नहीं है
हर बार उससे देशभक्ति का प्रमाण मांगा जाता है
सरकार को आवश्यकता है
उनका डर दूर करने की , उनको समझने की
यह सही है कि सबसे ज्यादा सुरक्षित भी भारत के ही मुस्लिम है
तब यह भी तो सही है कि वे विभाजन के समय देश छोडकर नहीं गए
यहॉ उनके पूर्वजों का बलिदान है
उनका योगदान है और दे भी रहे है
महत्तवपूर्ण पदों पर विराजमान है
स्वयं अंसारी साहब भी उपराष्ट्र पति के पद पर विराजमान थे
सिनेजगत ,साहित्य ,व्यापार हर जगह परचम फहरा रहे कलाम साहब को कौन भूल सकता है
फिर भी अगर डर लग रहा है
उनको संदेह की दृ्ष्टि से देखा जा रहा है तो यह प्रधानमंत्री मोदी जी का कर्तव्य है कि
इस पर संज्ञान ले
डर को दूर करे
यह बात साधारण ,आम आदमी नहीं एक भूतपूर्व उपराष्ट्रपति कह रहा है
इसे हल्के में नहीं लेना है
हिंदुत्ववादी शक्तियों को हावी नहीं होने देना है
गंगा - जमुनी संस्कृति को कायम रखना है
कवि इकबाल की पंक्तियॉ
   यूनान ,मिस्र ,रोमा सब मिट गए जहां से
कुछ बात है कि हसती मिटती नहीं हमारी
सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा

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