Sunday, 10 September 2017

ऐसे थे हमारे बाबूजी

सीधा होना कमजोर नहीं
ज्ञानी होना घमंडी नहीं
बालसुलभ होना चंचलता नहीं
नशे और व्यसनी चीजों से दूर रहना दुर्बलता नहीं
बच्चों को प्यार करना जैसी अमीरी नहीं
डाट- फटकार करना कोई जरूरी नहीं
बच्चों की भावनाएं समझना और कमजोरी को नजरअंदाज करना अनुशासनहीन नहीं
मंदिर में ही हाजिरी लगाये बिना भी ईश्वर भक्त बनना संभव
अंधविश्वास और अंधश्रद्धा की जीवन में कोई जगह नहीं
बेटी - बेटा एक समान
नारी शक्ति जिंदाबाद
प्रेम और सेवा ही मानवधर्म
गरीब और अमीर में कोई भेदभाव नहीं
जमीन और चटाई से अच्छा कोई आसन नहीं
शरीर ही नहीं मन से भी आधुनिक होना
जमाने से दो कदम आगे रहना
किसी से कोई तुलना नहीं
स्वयं में ही जीना
लिखना - पढना सर्वोत्तम
बुरे के साथ नहीं रहना
धोखा भले खाया पर धोखा नहीं दिया
किसी के साथ विश्वासघात नहीं
लालच से कोसो दूर
किसी का कुछ नहीं हडपने की नीयत
जीवन में न हार मानना न निराश होना
आडंबर से कोसो दूर रहना
अपशब्द और व्यंग्य से परहेज
औरत को सम्मान और जीने की आजादी
पैसे और लेन देन का बराबर हिसाब रखना
कामकाज में कोइ कोताही नहीं
सादे भोजन को वरीयता
तामझाम और दिखावट से कोसो दूर.
हमेशा सीखने को तत्पर
बच्चों के साथ बच्चा बन जाना
धीरज , कोमलता और स्नेह की मूर्ति
क्रोध तो आता पर झुकना भी आता
क्षमा मांगने से परहेज नहीं
डिक्शनरी के शब्दों के अर्थ का अर्थ ढूढना
शिक्षा को सर्वोत्तम समझना
जीवन को सादगी और सरलता के साथ भी जिया जा सकता है यह संदेश देना
लागलपट से दूर रहना
गलत बातों को अस्वीकार करना
सारी दुनियॉ भले एक तरफ हो पर वह सही हो जरुरी नहीं
सत्य पर कायम रहना
यह सब गुण बाबूजी में थे , वे कोई महान और प्रसिद्ध भले न हो
पर अपने बच्चों के लिए एक प्यार करने वाला पिता
अपने बच्चों के भविष्य के लिए बचत करनेवाला.
स्वयं सामान्य जीवन और मेहनत कर उनको सुरक्षा का एहसास कराने वाला
पैसा सब कुछ तो नहीं पर बहुत कुछ है
उसको उडाना नहीं संभालना है
बिना उसके कद्र नहीं
जीवन को अनुशासन में जीना
भाग्य से ज्यादा कर्म में विश्वास करना
यह जीवन भी उन्हीं का और शिक्षा भी उनकी
गर्व है और भाग्यवान है ऐसे पिता पाने पर.
महसूस होता है कि स्वर्ग से भी देख रहे होगे
मेरे बच्चों को कोई तकलीफ तो नहीं??
चेहरे पर निश्चल हंसी और ज्ञान.
बाबूजी का कोई सानी नहीं .

No comments:

Post a Comment