Thursday, 14 December 2017

संघर्ष ही तो जीवन है

हमेशा लगता था कि मेरे जीवन में ही यह सब क्यों ???
कभी कुछ आसानी से हासिल नहीं
हमेशा समस्याओं से वास्ता पडता रहा
नजदिकी लोगों को देख कर मन खिन्न हो जाता
ऐसा नहीं कि उनसे कुछ ईर्ष्या  हो
पर मुझे यह सब क्यों नहीं ??
मेरे भाग्य में क्या लिखा है
आज सुबह मन कुछ उदास था
पीछे मुडकर देखा तो लगा नहीं
शायद मेरा यह सोचना गलत है
मुसीबतें तो बहुत आई और आती भी रहेगी
पर वह मुसीबत का क्षण कैसे निकल गया
आसानी से और आज कुछ याद भी नहीं
एक साथ न जाने कितनी
कहते हैं न जब मुसीबत आती है तो साथ में
मैं तो साधारण व्यक्ति
अगर ईश्वर का हाथ नहीं होता तो ???
भाग्य की लेखनी को तो कोई टाल नहीं सकता
इतनी शक्ति देनेवाला भी तो वही है
एक चोट बर्दाश्त नहीं करने वाला
इतना चोट कैसे बर्दाश्त कर लेगा
एक छोटे से काम से कॉपने वाला
बडा से बडा काम कैसे कर लेगा
बहुत बडी विडंबना जीवन की , जो हम नहीं चाहते
वह होता है हमारे साथ
उससे उबरने में भी वह ही मदद करता है
अगर टूट जाते तो कुछ नहीं पाते
बचे हुए को संभालने की कोशिश नहीं करते
हर हार , हार नहीं होती
जीवन का सबक होती है
इंसान तो गलतियों का पुतला है
पर क्या सब गलतियॉ हम ही करते हैं
ईश्वर की उसमें कोई भागीदारी नहीं क्या ??
ऊपर वाला नचैया तो नाच नचाता ही है
पर यह याद रखना
वह सब देख रहा है
आपके हर क्रियाकलाप का हिसाब रख रहा है
विश्वास रखिए
आपके साथ कोई अन्याय नहीं होगा.
आप मांगे या न मांगे
देनेवाला आपकी हर मुसीबत से वाकिफ है
उबारेगा , धैर्य रखिए
दुनिया के सामने मत रोइए
उस पर यकीन रखिए

No comments:

Post a Comment