आज सुबह बस स्टाप पर बस के इंतजार में बैठी थी
बस ८.३० को आती है पर छूट न जाय इसलिए.
पैर में अब उम्र के कारण दर्द होता है , घर में लोग कहते हैं टेक्सी से जाया करो
पर बस आराम से समय पर मिल जाती है और दस रूपए में काम बन जाता है अन्यथा सौ रूपए लगते
वापसी में थकान के कारण टेक्सी ही लेती हूं
मन में खुशी होती है ९० रूपए बचाने के
बसस्टाप के बगल में ही चने बेचने वाला एक डलिया लेकर बैठा रहता है
कुछ सडकवासी और गर्दुल्ले आसपास रहते हैं
उनमें एकाध औरतें भी रहती है
गाली - गलौज और सडकछाप भाषा में बातचीत
आज एक. - दो में कुछ वादविवाद हो रहा था
मैं उस तरफ मुडकर देख रही थी..
अचानक नजर गई बस आ गई थी और लोग चढ रहे थे
जल्दी झपट कर उठी और बस पकड ली
सोचने लगी बेकार का नजारा देखने के कारण आज पछताना पडता
और टेक्सी लेने पर पैसे की चपत पडती वह अलग
यह तो साधारण सी बस की बात है
पर हम अपनी जिंदगी में कई बार इतने बेपरवाह बन जाते हैं कि जिंदगी भर पछताते और हाथ मलते रह जाते हैं
यहॉ ९०- १०० की चपत नहीं जिंदगी ही बदल जाती है
हर कदम को सावधानी ,एकाग्रता से उठाना चाहिए
जिंदगी को हल्के में नहीं लेना चाहिए.
मौका सबको मिलता है पर मौके का फायदा हम कैसे उठाते हैं , यह जरूरी है
और जिंदगी का हर निर्णय भविष्य की नींव तैयार करता है.
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Monday, 29 January 2018
जिंदगी को पकड कर रखे
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment