चाय के साथ गरम- गरम पकौडा
इसका स्वाद और आंनद ही गजब
जिसका चाहे पकौडा बना लो
आलू , प्याज ,गोभी ,बैंगन इत्यादि
इनको बेसन में डुबोकर गरम तेल में तलना है
सब स्वाद ले - लेकर खाते हैं
ठंड हो या बरसात का मौसम
इसकी मांग कम नहीं होती
आज तो यह पकौडा राजनीति की बिसात पर
लच्छेदार शब्दों में लपेट कर जनता के सामने परोसा जा रहा
यह पकौडा तो हर गली की शोभा
आज संसद के गलियारों में हंगामा मचा रहा
इसका तो नसीब ही है गर्म तेल में तलना
तब जाकर जीह्वा संतुष्ट होगी
पकौडा तलना मजबूरी है या जरूरत
यह तो बेचने वाला जाने
पर आज का युवा क्या करें
उसको कब तक ख्वाबों में लपेटा जाएगा
उसको सब्जबाग दिखाया जाएगा
वादे किए जाएगे
रोजगार का आश्वासन दिया जाएगा
पकौडा तो वह कभी भी तल सकता है
पर यह भी तो आसान नहीं
जगह चाहिए ,लाइसेंस चाहिए
सुरक्षा की गांरटी चाहिए
और बेसन ,तेल ,गैस ,सब्जियों के दाम कम चाहिए
हर चायवाला की नियति मोदी जी जैसी नहीं होती
और उसे यहॉ तक पहुंचने का अवसर नहीं मिल सकता
हर पकौडावाला भी भाग्यशाली तो नहीं हो सकता
मेकडानेल्स की होड में शामिल हो , संभव नहीं
अगर युवाओं को पढ- लिखकर चाय- पकौडा ही बेचना है तो पढे क्यों??
चाय - पकौडा खरिदने के लिए ग्राहक भी चाहिए
मंहगाई की मार झेल रहा व्यक्ति के लिए तो यह भी मयस्सर नहीं
कटिंग चाय और कभी - कभी पकौडा तो चल सकता है , पर हमेशा नहीं
पैसा तो खर्च होगा ही
पाचन खराब हो जाएगा
नेतागण इस बात को समझे
पकौडे को छोड और कुछ सोचे
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Wednesday, 7 February 2018
बेचारा पकौडा
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