Tuesday, 24 April 2018

बलात्कार तो घृणित ही है

बलात्कार तो घृणित ही है
वह एक - दो हो या ज्यादा
यह घटना बड़ी ही है
मानवता पर धब्बा है
मानव समाज पर कलंक है
यह किसी जाति या धर्म. की नहीं
एक जीवन को तबाह करना है
उसके सपनों को रौदना है
ईश्वर का अपमान करना है
यह किसी देश की बात नहीं
यह तो सारे विश्व  के सामने सवाल है
किसी एक का नहीं
पूरा परिवार खत्म हो जाता
जीते जी. मर जाते है
इनको तो फाँसी की सजा भी.कम है
जिस पर गुजरती है
वह ही जानता है
समस्या गंभीर है
समाज को अपना नजरिया बदलना. होगा
यह लडके -  लड़कियों की नहीं
हर व्यक्ति की बात है
घर - बाहर कहीं भी
और नहीं तो नजरों से
नैतिकता बची. नहीं
साधु -महात्मा भी विश्वास के पात्र नहीं
सगे - संबंधी भी नहीं
यहाँ तक कि खून के रिश्ते भी नहीं
तब क्या किया जाय ????

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