मैं तुम पर चिल्लाती हूं
गुस्सा करती हूं
पर तुमसे प्यार बहुत करती हूं
तुम मुझे अभी भी बच्ची समझती हो
पर मै पचास पार कर चुकी हूं
तुम भी बूढी हो चुकी हो
अब वह ताकत नहीं रही
पर तुम स्वीकार करने को तैयार नहीं
मुझमें भी वह सहनशीलता नहीं
हर बात पर टोकाटाकी. मुझे पसंद नहीं
मैं झल्ला पडती हूँ
पर फिर ख्याल आता है
मैं ऐसा क्यों करती हूं
तुमको खोना भी नहीं चाहती
पर कोई अमर तो नहीं
यह बात मुझे माननी होगी
जाने वाले वापस नहीं आते
बस यादें ही रह जाती है
सुखद याद रहे हमारी
मेरा तुम्हारा रिश्ता भी अजीब है
प्यार तो बहुत पर इजहार नहीं
न देखें बिना
देखे तो लगता कितनी दूरी
शायद यह हम दोनों की उम्र का तकाजा
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