Friday, 18 May 2018

सपना और हकीकत

सपने हम देखते हैं
नींद मे कल्पना मे
सपना पूरा हो या न हो
देखने मे हर्ज ही क्या है
क्षणिक सुख का आनंद तो मिलेगा
जिंदगी तो आपाधापी से भरी है
चलती ही रहेंगी
हकीकत कडवी भी मीठी भी
सपना हमेशा मीठा
अनुभूति से सराबोर
किसी से अनुमति की जरुरत नहीं
अपने मन के राजा
सिंहासन पर बैठे या तख्त पर
आसमान मे विचरण करे या जमी पर
पंखों से उड़े या हवाई जहाज से
जैसी मर्जी
पर हकीकत इससे कोसों दूर
हकीकत के पैर जमीन पर होते हैं
हाँ यह जरूर है कि सपना देखेंगे
तभी तो हकीकत मे पूरा हो सकता है
सपने देखना चाहिए
पूरा करने का प्रयास करना चाहिए
सपना हकीकत बन सकता है
अगर हौसलों मे जान हो

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