जिंदगी गुजरती गई
इच्छाएँ बढ़ती गई
उनको पूरा करने मे उम्र बढती गई
हर बार नयी चुनौती
सब हो गई पार
पर इसमें रह गया अकेला
कभी न किसी की परवाह की
तन -मन से काम किया
आज फुर्सत है
देखता हूँ नजरिया बदला है
उनके पास परिवार है
पत्नी है बच्चे है
भले ही सुकून न हो
रोज झगड़ा हो रहा हो
बच्चे अपमानित कर रहे हो
तब भी वे खुशनसीब समझ रहे
कोई बात नहीं
पर दूसरे को हेय दृष्टि से देखना
शादी ही जिंदगी की मंजिल है
वही सुखद है
जिंदगी मे क्या हासिल किया
उसकी कोई अहमियत नहीं
तकदीर वाला है
ऊपर वाले ने बनाया है
जोड़ियां स्वर्ग मे बनती है
पर हमें भी तो उसी ने बनाया
तब हम पर यह सोच क्यों
यह तो गाड़ी है
कोई सवार हो गया
कोई रह गया
पर जीवन तो चलता रहा
अकेले आए अकेले चल रहे
तब किसी को क्या परेशानी
जीवन हमारा
सोच हमारी
निर्णय भी हमारा
नजरिया दूसरे बदले
बस ईश्वर का साथ रहे
कृपा अपरंपार रहे
लोग कहे कहते रहे
हम अपना जीवन जीते रहे
स्वयं के लिए नहीं समाज के लिए भी
स्वार्थों से ऊफर उठ
केवल परिवार के लिए नहीं
संसार के लिए भी
अपना नाम अपने बलबूते चलाना है
औलादों के सहारे नहीं
ईश्वर ने सक्षम बनाया है
सहारा नहीं अकेले ही काफी है
काफिला तो यही रह जाना है
दरबार मे खाली हाथ ही जाना है
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Sunday, 3 June 2018
अकेला चलो
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