लिफ्ट होती है आराम से ऊपर जाय
सीढियां चढ़ने की जहमत न उठानी पड़ी
पर वाकया ऐसा कि एक बार लिफ्ट मे फंस गए
बिजली चली गयी
अब क्या करें
कुछ समझ नहीं आ रहा था
डर भी लग रहा था
आवाज लगाई पर कौन सुनता
सांस ऊपर नीचे होने लगी
क्या होगा??
पीटने पर किसी को सुनाई पडा
राहत महसूस हुई
बाहर आवाजें आ रही थी
घबराना मत
दिलाता दे रहे थे
आखिर किसी तरह दरवाजा खोला गया
बाहर लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट थी
यह थे तो अंजान
पर आज रक्षक बन आए थे
मशीन , मशीन ही होती है
वह इंसान की जगह नहीं ले सकती
ऊपर ले जाने वाली लिफ्ट कहीं सच मे ऊपर पहुंचा देती तो
घबराहट के मारे दिल की धडकन बंद हो गई होती तो
हम कितना गुलाम बन गए इन मशीनों की
इन्हीं के हिसाब से चलते हैं
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Friday, 29 June 2018
जब लिफ्ट मे फंसे
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