राजनीति मे प्रेम
यह शब्द शायद इस क्षेत्र के लिए नहीं
फिर भी इंसान तो हैं
इंसानियत के नाते ही सही
शिष्टाचार वश ही सही
कुछ तो करना बनता है
साम ,दाम ,दंड ,भेद
युद्ध और राजनीति मे सब जायज
भारतीय राजनीति मे इतनी कटुता
इसे कहाँ ले जाएगी
स़सद मे मोदी जी से राहुल गले मिले
इसका कारण तो वे ही जाने
उचित या अनुचित
पर कोई गाली गलौज या तोड़ फोड तो नहीं की
जैसा अमूमन देखा गया है
हो सकता है उनकी मंशा अच्छी हो
पर प्रधानमंत्री जी ने क्या किया
उनका फर्ज बनता था कि उठकर मिलते
विदेशी नेताओं से जिस तरह
पर खैर कोई बात नहीं
पर बाद का उनका जवाब
जिस तरह उन्होंने दिया
यह उनको शोभा नहीं देता
आपके पद की एक गरिमा है
फिर आप राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी है
एक कार्यकर्ता से लेकर गुजरात के मुख्यमंत्री
फिर देश के प्रधानमंत्री
राहुल आपके सामने कहाँ टिक पाएंगे
अनुभव और उम्र , पद
कहीं भी नहीं
आपका हाथ का इशारा ,गले पड़ना वाली बात ,किसी पर हंसना
आपके नेता का कहना कि
क्या खाकर आये हो
विपक्ष की खिल्ली उडाना
उसके नेता को मूर्ख और पप्पू बताना
सारा विश्व देख रहा होगा
क्या संदेश जाएगा
मतभेद होते हैं पर दुश्मनी नहीं
राहुल ने शायद यही कहने की कोशिश की होगी
उनका तरीका शायद सही न होगा
पर आप तो प्रधानमंत्री थे
अपनी गरिमा का ,बडप्पन का परिचय देते
न कि उनका मजाक उड़ाते
आप साधारण मंच पर बोलने वाले नेता नहीं
भारत जैसे महान देश के प्रधानमंत्री की हैसियत से बोलते हैं
तो आपकी वाणी ,भाषा ,हावभाव सब संयमित और मर्यादित होना चाहिए
आप दूसरों के आदर्श होने चाहिए
नेता आपको देख और सुन अनुकरण करें
गौतम और गांधी की भूमि है हमारी
प्रेम और आदर होना चाहिये सबके प्रति
कटूता ,कटूता को ही जन्म देती है
जो लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है
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