कहाँ बंध पाएगे अटल जी हमारे शब्दों में
शब्दों का खिलाड़ी
वाक्चातुर्य का तो जवाब नहीं
वक्ता ऐसा कि श्रोता बंध कर रह जाए
कविता का ऐसा अंदाज
स्वरों की लहरियां जब गूंजती
तब सब निशब्द हो जाते
अंतरराष्ट्रीय जगत मे हिन्दी को सम्मान दिलाना
अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनका हिन्दी में भाषण
ये पहले नेता थे जिनकी हिन्दी सुनने को सब लालायित
हिंदी और हिंदूस्तानी यह उनकी पहचान
सहज और सरल ,उदार और संवेदनशील
यह कविहृदय अब तो नहीं रहा
पर कविता तो हमारे साथ है
हमारे पास है
जब चाहे उनको कविताओं में ढूढ़ लेंगे
अटल थे अटल रहेंगे
अकेले राजनीति के पटल पर चमकता रहेंगा यह सितारा
एक अटल बिहारी सब पर भारी
फिर भी सबका साथी
जो सबको साथ लेकर चला
आए थे अकेले
पर अकेले जा नहीं रहा हूँ
बहुत प्यार लेकर जा रहा हूँ
मृत्यु से दोस्ती कर ली दोस्तों
अब देखूंगा ऊपर से अपने हिंदुस्तान को
और विश्वास भी है
मेरा हिंदुस्तान दूनिया में परचम फहराए
सुख शांति और पड़ोसी से मेलजोल बढे
हम सबल बने और भय को दूर भगाए
धरा से अंबर बस हो हमारा तिरंगा
अलविदा अटल जी
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