मुंबई की लाईफ लाईन है यह लोकल
हम है मुंबई कर
यह है हमारी जिंदगी
इससे हमारा अटूट नाता
हम भागते दौड़ते रहते हैं इसके साथ
सुबह हुई कि घर से निकल पडे
चढ़ने की मारामारी
किसी तरह चढ़े
पसीना बह रहा
अब जरा पोछ ले
मुख पर माथे पर रुमाल फिरा रहे
रुमाल भीगी जा रही
जैसे जिंदगी भी बही जा रही
रात -दिन सफर करते
घर से दफ्तर और दफ्तर से घर
यह सब हो रहा पेट की खातिर
जिंदगी भागी जा रही
आधी जिंदगी रेल मे कट रही
रेल अपनी पटरी पर दौड़ रही
हम जिंदगी को पटरी पर लाने की खातिर दौड़ रहे
कुछ गहरा रिश्ता बन गया है इससे
यह रुकी तो हम भी रुक जाएंगे
तभी तो है यह लाईफ लाईन हमारी
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Monday, 3 September 2018
मुंबई की लाईफ लाईन
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