Friday, 7 September 2018

मेरा लल्ला सबसे न्यारा

यह मेरा कान्हा
मैं इसकी यशोदा मैया
नटखट पन है इसका भाता
इसकी बोली कानों मे रस घोलती
इसका श्याम वर्ण है इतना मनमोहक
सारे गौर वर्ण हो जाते फीके
इस पर न्योछावर सब कुछ
इसके इर्दगिर्द घूमती है दूनिया मेरी
मुझे नहीं किसी से वास्ता
बस मेरी दुनिया रहे मेरे आसपास
इसकी भूख मेरी भूख
इसकी हंसी मेरी हंसी
इसपर मैं वारी जाउ
मेरी गोदी का यह लाल
जीवन की आस
यह मिला तो मैं भी हुई
ममता से सराबोर
मेरी ममता को मिला सम्मान
बना मेरा जीवन आधार
अब यह और मैं
बस मां -बेटे के बीच न दूजा कोई
मेरा जीवन इस पर निर्भर
यह मेरी जीवनजोत
हर दम रहे तेज

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