Thursday, 15 November 2018

फिर राम याद आए

फिर राम याद आए
चुनाव सर पर
और राम न याद आए
अब तो राम और चुनाव
एक दूसरे के पर्याय
यह सही है
कि इश्वर की याद मुश्किल घड़ी मे ही आती है
पर यहाँ तो उनको ही मुश्किल मे डाल दिया गया है
वे क्या करें
किसका साथ दे
सब दावा कर रहे हैं
मंदिर का प्रश्न तो लंबित पड़ा है
वह सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर
तब क्यों यह सब ड्रामा
जनता को बरगलाने का प्रयास
राम कितनी बार बहुमत से जिताएगे
सरकार बनवाएंगे
जिम्मेदारी किसकी बनती है
मंदिर बनवाने का दावेदार कौन
किसको उनके नाम का फायदा मिला
किसने उनका इस्तेमाल किया
अगर दम नहीं तो झूठे दांवे क्यों
उनके नाम पर अपना घर बना लिया
राग अलापा जाता है
पर मंदिर नहीं बना
राम तो सबके रखवाले हैं
उनकी चिंता की जरुरत नहीं
वह लोगों के दिलों मे है
राजा राम हिंदू के दिल पर राज करते हैं
जब जब चुनाव
तब तब राम
वह गाना याद आ रहा है
सुनलो ऐ दीवानों ऐसा काम न करो
राम का नाम बदनाम ना करो ।

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