पेडों पर हमेशा नये नये पत्तों का आगमन
पतझड़ मे पुराने पत्ते झड़.जाते हैं
वैसे ही जीवन मे पुराने को.छोडकर आगे बढ़ना है
जब तक पुराने मे अटके रहेंगे
नये को कैसे स्वीकार करेंगे
सांप भी अपनी केंचुली को उतारकर नया धारण करता
है
निरंतर परिवर्तन का नाम ही जीवन है
परिवर्तन को अस्वीकार करेंगे तो.जीवन वहीं रूक जाएगा
पानी जब तक बहता रहता है तब तक निर्मल रहता है
जब ठहर जाता है
तो सड़ांध आने लगती है
हर पुरातन को छोड़ना
नये को स्वीकारना यही जीवन.है।
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Monday, 10 December 2018
प्रकृति से जीना सीखे
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