Wednesday, 19 December 2018

मैं फिर मैं ही नहीं

I don't care
यह कहना इतना आसान नहीं
किसको छोड़ेंगे आप
अपनो को
बच्चे क्या कर रहे हैं करने दो
घर मे कुछ बिगड़ रहा है
बिगड़ने दो
जिसकी जो मर्जी वह करें
हम क्यों रोक टोक करें
ऐसा बनना बहुत मुश्किल है
जो बगिया आपकी लगाई है
उसे ऐसे कैसे छोड़ेंगे
उसे मुरझाने कैसे देंगे
तूफानों से उसको बचाना तो पड़ेगा
भले वह आपके साथ कैसे भी पेश आए
आप तो वह माली है
जिसका हर पौधा हर फूल
बहुत मायने रखता है
अगर  हम ऐसा करते हैं
तब तो हम हम ही नहीं है
तटस्थ तो हो ही नहीं सकते
इसी मे उलझना है
गोते लगाना है
डूबना उतराना है
भले ही यह सब माया का बंधन हो
पर यह बंधन नहीं
जीने का जरिया है
माया मोह ही जिंदगी
इसमें जकड़े रहना हमारी खुशी

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