Tuesday, 25 December 2018

बाबूजी

आज आप हमारे साथ नहीं
पर आपका आशीर्वाद तो अवश्य होगा
ऊपर अलग जहां से देख रहे होंगे
अपने घर परिवार को
जब तक साथ रहता है इंसान
हम समझ ही नहीं पाते उनको
या फिर समझते हैं पर व्यक्त नहीं कर पाते प्यार को
हां अपना क्रोध और चिड़चिड़ापन जरूर निकालते हैं
क्योंकि वह हमारे अपने हैं
इसलिए सहन कर लेते हैं
आज मैं यह भी कहना चाहती हूँ
कि मुझे आपसे बहुत बेहिसाब प्यार तो था पर तकलीफ भी सबसे ज्यादा मैंने ही दी होगी
यह पिता -पुत्री का संबंध ही नहीं
आप मेरे दोस्त ,मार्गदर्शक और पालनहार भी थे
जो कुछ भी मैं हूँ
वह आपकी वजह से
मेरी गलतियों को क्षमा करना
  एहसास तब होता है
  जब साथ छूटता है
  अगर पहले ही हो जाय
  तब रिश्ता मिठास बन जाय
  प्यार करते हैं आपके अपने
तभी तो आपको सहते हैं
अन्यथा नाता तो वह भी तोड़ सकते हैं
प्यार के बंधन में बंधे हैं वे
यही उनका कसूर
नहीं तो मोहताज वे भी नहीं
   प्रणाम और नतमस्तक हूँ
जैसी भी हूँ
    आपकी ही हूँ
आपसे ही हम हैं और रहेंगे
जिंदगी के साथ भी
         जिंदगी के बाद भी
👏👏👏👏👏👏👏

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