Wednesday, 5 December 2018

डरना क्यों ???

कल डर से मुलाकात हुई
उसने कहा
मैं तेरा पीछा नहीं छोड़ूंगा
बचपन से तेरे पीछे पड़ा हूँ
मैं डराता रहूंगा
तू डरता रहेगा
मैंने कहा
बस अब और नहीं
जो करना है कर ले
मैं नासमझ था
पर अब समझ गया हूँ
तुझे मुझ पर हावी नहीं होने दूंगा
हर पल डरता रहा
क्या मिला मुझे
जिंदगी अपने हिसाब से जी नहीं पाया
इसका डर
उसका डर
समाज का डर
सब बेकार
लोग क्या कहेंगे
हंसेंगे ,ताने कसेगे
यही सोच मे जिंदगी थम गई
इच्छाओं का गला घोंट दिया
अब सबसे पहले तुझसे निजात पाना है
अपने जीवन से बाहर निकाल फेंकना है
डरना नहीं सामना करना है
ऐसा होगा तो
पर क्या होगा??
रुकेगा तो कुछ नहीं
फिर तेरे साथ क्यों
तेरे बगैर क्यों नहीं
अब डरना नहीं
डर को भगाना है
तुझे जीवन से बाहर निकालना है
बस अब और नहीं
डर तो बिल्कुल नहीं
यह मेरा मुझसे वादा है

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